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ग्रंथकर्ता द्वारा निवेदन
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एवं सामाचारो बहुभेदो वण्णिदो समासेण
वित्थारसमावण्णो वत्थरिदव्वो बहुजणेहिं ॥197॥
अन्वयार्थ :
इस प्रकार से अनेक भेदरूप समाचार को मैंने संक्षेप से कहा है । बुद्धिमानों को इसका विस्तार जानकर इसे विस्तृत करना चाहिए ।