+ अनगार-भावना सूत्र करने की प्रतिज्ञा -
अणयारमहरिसीणं णाइंदणिंरदइंद महिदाणं ।
वोच्छामि विविहसारं भावणसुत्तं गुणमहंतं ॥770॥
अन्वयार्थ : नागेन्द्र, नरेन्द और इन्द्रों से पूजित अनगार मर्हिषयों के निमित्त गुणों से श्रेष्ठ विविध सारभूत ऐसे भावनासूत्र को मैं कहूँगा ।