
सच्चवयणं अहिंसा अदत्तपरिवज्जणं च रोचंति ।
तह बंभचेरगुत्ती परिग्गहादो विमुत्ति च ॥781॥
अन्वयार्थ : सत्य भाषण बोलना, जीव हिंसा का त्याग करना, नहीं दी हुई वस्तु ग्रहण न करना, ब्रह्मचर्य का रक्षण करना और परिग्रहों का त्याग करना ऐसे पाँच व्रतों पर वे मुनि श्रद्धा करते हैं ।