छाबडा :
ये बारह भावनाओं के नाम कहे गये हैं, जिनका विशेष अर्थरूप कथन तो यथास्थान होगा ही परन्तु ये नाम भी सार्थ हैं, इनका अर्थ किस प्रकार है ? - अध्रुव तो अनित्य को कहते हैं। जहाँ कोई शरण नहीं सो अशरण । भ्रमण को संसार । जहाँ कोई दूसरा नहीं सो एकत्व । जहाँ सबसे भिन्नता सो अन्यत्व । मलिनता को अशुचित्व । कर्म के आने को आस्रव । कर्म के आने को रोके सो संवर । कर्मे का झरना सो निर्जरा । जिसमें छह द्रव्य पाये जाय सो लोक । अति कठिनता से प्राप्त होय सो दुर्लभ । संसार उद्धार करे सो वस्तु-स्वरूपादिक धर्म । इसप्रकार इनका अर्थ है । पहले अध्रुव अनुप्रेक्षा का सामान्य स्वरूप कहते हैं :- |