+ लक्ष्मी को गाड़ने वाला मूर्ख -
जो संचिऊण लच्छिं धरणियले संठवेदि अइदूरे
सो पुरिसो तं लच्छिं पाहाण-समाणियं कुणदि ॥14॥
अन्वयार्थ : [जो लच्छिं संचिऊण] जो पुरूष लक्ष्‍मी को संचय करके [अइदरे धरणियले संठवेदि] बहुत नीचे जमीन में गाड़ता है [सो पुरसो तं लच्छिं] वह पुरूष लक्ष्‍मी को [पाहाणमसमाणियं कुणइ] पत्थर के समान करता है ।

  छाबडा 

छाबडा :

जैसे मकान की नीवं में पत्‍थर रखा जाता है वैसे ही इसने लक्ष्‍मी को गाड़ी तब वह पत्‍थर के समान हुई ।