छाबडा :
वस्तु-स्वरूप का अन्यथा ज्ञान कराने में मदिरा पीना, जवरादिक रोग, नेत्र विकार, अन्धकार इत्याददि अनेक कारण है परन्तु यह मोह भाव सबसे बलवान है, वस्तु को प्रत्यक्ष विनाशीक देखता है तो भी नित्य ही मान्य कराता है तथा मिथ्यात्व काम, क्रोध, शोक इत्यादिक हैं वे सब मोह ही के भेद हैं, ये सब ही वस्तु स्वरूप में अन्यथा-बुद्धि कराते है । अब इस कथन का संकोच करते है :- |