
सीहस्स कमे पडिदं सारंगं जह ण रक्खदे को वि
तह मिच्चुणा य गहिदं जीवं पि ण रक्खदे को वि ॥24॥
अन्वयार्थ : [जह सीहस्स कमे पंडिदं] जैसे सिंह के पैर के नीचे पड़े हुए [सारंगं को वि ण रक्खदे] हिरण की कोई भी रक्षा करनेवाला नहीं [तह मिच्चुणा य गहिदं जीवं पि] वैसे ही मृत्यु के द्वारा ग्रहण किये हुए जीव की [को वि ण रक्खदे] कोई भी रक्षा नहीं कर सकता है ।
छाबडा
छाबडा :
वन में सिंह मृग को पैर नीचे दाब ले तब कौन रक्षा करे ? वैसे ही यह काल का दृष्टान्त जानना चाहिये । आगे इसी अर्थ को दृढ़ करते हैं -
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