+ इसी को दृढ़ करते हैं -
अइ-बलिओ वि रउद्दो मरण-विहीणो ण दीसदे को वि
रक्खिज्जंतो वि सया रक्ख-पयारेहिं विविहेहिं ॥26॥
अन्वयार्थ : [अइबलियो वि रउद्दो] अत्‍यंत बलवान् तथा रौद्र (भयानक) [विविहेहिं रक्‍खपयारेहिं रक्खिजंतो वि सया] और अनेक रक्षा के प्रकार, उनसे निरन्‍तर रक्षा किया हुआ भी [मरणविहीणो को वि ण दीसए] मरण-रहित कोई भी नहीं दिखता है ।

  छाबडा 

छाबडा :

अनेक रक्षा के प्रकार गढ़, कोट, सुभट, शस्‍त्रादिक को शरण मानकर कोटि उपाय करो परन्‍तु मरण से कोई बचता नहीं । सब उपाय विफल जाते हैं ।

अब शरणकी कल्‍पना करे उसको अज्ञान बताते हैं :-