छाबडा :
जो जीवों की हिंसा करता है, झूठ बोलता है, परधन हरता है, पर-स्त्री तकता है, बहुत आरंभ करता है, परिग्रह में आसक्त होता है, बहुत क्रोधी, प्रचुर मान, अति कपटी, अति कठोर भाषी, पापी, चुगल, कृपण, देव-शास्त्र-गुरू का निंदक, अधम, दुर्बुद्धि, कृतघ्नी और बहुत शोक / दु:ख करने ही की जिसकी प्रकृति हो ऐसा जीव होता है, सो मर कर नरक में उत्पन्न होता है, अनके प्रकार के दु:ख को सहता है । अब पाँच प्रकार के दु:खों को कहते हैं - |