
अह गब्भे वि य जायदि तत्थ वि णिवडीकयंग-पच्चंगो
विसहदि तिव्वं दुक्खं णिग्गममाणो वि जोणीदो ॥45॥
अन्वयार्थ : [अह गब्भे वि य जायदि] अथवा गर्भ में भी उत्पन्न होता है तो [तत्थ वि णिवड़ीकयंगपच्चंगो] वहाँ भी सिकुड़ रहे है हाथ, पैर आदि अंग तथा उंगली आदि प्रत्यंग जिसके ऐसा होता हुआ तथा [जोणीदो णिग्गममाणो वि] योनि से निकलते समय भी [तिव्वं दुक्खं विसहदि] तीव्र-दु:ख को सहता है ।
छाबडा