+ मनुष्य-गति के और भी दुःख -
बालोपि पियर-चत्तो पर उच्छिट्ठेण बड्ढदे दुहिदो
एवं जायण-सीलो गमेदि कालं महादुक्खं ॥46॥
अन्वयार्थ : [वालोपि पियरचत्तो परउच्छिठ्टेण बड्ढदे दुहिदो] बाल-अवस्‍था में ही माता-पिता मर जायँ तब दूसरों की झूंठन से बड़ा हुआ [एवं जायणसीलो महादुक्‍खं कालं गमेदि] इस तरह भीख माँग माँगकर उदर-पूर्ति करके महादु:खी होता हुआ काल बिताता है ।

  छाबडा