+ अनिष्ट संयोगज दुःख -
कस्स वि दुट्ठ-कलत्तं कस्स वि दुव्वसण-वसणिओ पुत्तो
कस्स वि अरिसमबंधू कस्स वि दुहिदा वि दुच्चरिया ॥53॥
अन्वयार्थ : [कस्‍स वि दुट्ठकलत्तं]‍ किसी के तो स्‍त्री दुराचारिणी है [कस्‍स वि दुव्‍वसणवसणिओ पुत्तो] किसी का पुत्र जुआ आदि दुर्व्यसनों में रत है [कस्‍स वि अरिसमबंधू] किसी के शत्रु के समान कलही भाई है [कस्‍स वि दु‍हिदा वि दुच्‍चरिया] किसी के पुत्री दुराचारिणी है ।

  छाबडा