
मरदि सुपुत्तो कस्स वि कस्स वि महिला विणस्सदे इट्ठा
कस्स वि अग्गि-पलित्तं गिहं कुडंबं च डज्झेइ ॥54॥
अन्वयार्थ : [कस्स वि सुपुत्तो मरदि] किसी का सुपुत्र मर जाता है [कस्स वि इट्ठा महिला विणस्सदे्] किसी के इष्ट स्त्री मर जाती है [कस्स वि अग्गिपलित्तं गिहं च कुडंवं डज्झेइ] किसी के घर और कुटुम्ब सब ही अग्नि से जल जाते हैं ।
छाबडा