+ अनित्यता -
संधणो वि होदि णिधणो धण-हीणो तह य ईसरो होदि
राया वि होदि भिच्चो भिच्चो वि य होदि णरणाहो ॥56॥
अन्वयार्थ : [सधणो वि होदि णिधणो] धन सहित तो निर्धन हो जाता है [तह य धणहीणो ईसरो होदि] वैसे ही जो धन-रहित होता है, सो इश्वर (धनी) हो जाता है [राया वि होदि भिच्‍चो] राजा भी किंकर (नौकर) हो जाता है [भिच्‍चो वि य होदि णर णाहो] और जो किंकर होता है, वह राजा हो जाता है ।

  छाबडा