
सारीरिय-दुक्खादो माणस-दुक्खं हवेइ अइ-पउरं
माणस-दुक्ख-जुदस्स हि विसया वि दुहावहा हुंति ॥60॥
अन्वयार्थ : [सारीरियदुक्खादो] शारीरिक दु:ख से [माणसदुक्खं] मानसिक दु:ख [अइपर हवेइ] अतिप्रचुर है [माणसदुक्खजुदस्स हि] मानसिक दु:ख सहित पुरूष के [विसया वि दुहावहा हुंति] अन्य विषय बहुत भी होवें तो भी वे उसको दु:खदाई ही दिखते हैं ।
छाबडा
छाबडा :
मानसिक चिन्ता होती है तब सब ही सामग्री दु:खरूप दिखाई देती हैं ।
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