छाबडा :
कोई जीव दस कोडाकोड़ी सागर के उत्सर्पिणी काल के पहिले समय में जन्म पावे, बाद में दूसरे उत्सर्पिणी के दूसरे समय में जन्म पावे, इसी तरह तीसरे के तीसरे समय में जन्म पावे, ऐसे ही अनुक्रम से अन्त के समय तक जन्म पाता रहे, बीचबीच में अन्य समयों में बिना अनुक्रम के जन्म पावे सो गिनती नहीं है । इसी तरह अवसर्पिणी के दस कोड़ाकाड़ी सागर के समय पूरे करे तथा ऐसे ही मरे । इस तरह यह अनन्तकाल होता है उसको एक काल-परावर्तन कहते हैं - अब भव-परावर्तन को कहते हैं - |