+ दो नयों का उपदेश -
निश्चयमिह भूतार्थं व्यवहारं वर्णयन्त्यभूतार्थम्‌ ।
भूतार्थबोधविमुख: प्राय: सर्वोऽपि संसार: ॥5॥
निश्चय है भूतार्थ और व्यवहार यहाँ अभूतार्थ कहा ।
भूतार्थ-बोध से विमुख अहो प्राय: सारा संसार रहा ॥५॥
अन्वयार्थ : [इह] यहाँ [निश्चयं] निश्चयनय को [भूतार्थं] भूतार्थ और [व्यवहारं] व्यवहारनय को [अभूतार्थं] अभूतार्थ [वर्णयन्ति] वर्णन करते हैं । प्राय: [भूतार्थबोध विमुख:] भूतार्थ (निश्चयनय) के ज्ञान से विरुद्ध जो अभिप्राय है, वह [सर्वोऽपि] समस्त ही [संसार:] संसार-स्वरूप है ॥५॥
Meaning : In this connection, Nishchaya is defined as the Real, and Vyavabara as unreal. Almost the whole world has its face against Knowledge of the real aspect.

  टोडरमल