अबुधस्य बोधनार्थं मुनीश्वरा: देशयन्त्यभूतार्थम् ।
व्यवहारमेव केवलमवैति यस्तस्य देशना नास्ति ॥6॥
अज्ञानी को समझाने के लिए करें व्यवहार कथन ।
जो केवल व्यवहार जानते उन्हें नहीं जिनराज वचन ॥६॥
अन्वयार्थ : [मुनीश्वरा: अबुधस्य बोधनार्थं] आचार्य अज्ञानी जीवों को ज्ञान उत्पन्न करने के लिये [अभूतार्थं देशयन्ति] व्यवहारनय का उपदेश करते हैं और [य: केवलं] जो केवल [व्यवहारम् एव] व्यवहारनय को ही [अवैति] जाने [तस्य देशना नास्ति] उनको उपदेश नहीं है ॥६॥
Meaning : The high saints point out Vyavahara for the guidance of the ignorant. A discourse is of no avail to one, who knows Vyavahara only.
टोडरमल