
सर्वविवर्त्तोत्तीर्णं यदा स चैतन्यमचलमाप्नोति ।
भवति तदा कृतकृत्य: सम्यक्पुरुषार्थसिद्धिमापन्न ॥11॥
जब वह सर्व विकारों से हो पार अचल चेतन को प्राप्त ।
होता है कृतकृत्य तभी सम्यक्पुरुषार्थ सिद्धि को प्राप्त ॥११॥
अन्वयार्थ : [यदा] जब [स:] उपर्युक्त अशुद्ध आत्मा [सर्वविवर्त्तोत्तीर्ण] विभावों से पार होकर [अचलं] अपने निष्कम्प [चैतन्यं] चैतन्यस्वरूप को [आप्नोति] प्राप्त होता है [तदा] तब यह आत्मा उस [सम्यक्पुरुषार्थसिद्धिम्] सम्यक् प्रकार से पुरुषार्थ के प्रयोजन की सिद्धि को [आपन्न:] प्राप्त होता हुआ [कृतकृत्य:] कृतकृत्य [भवति] होता है ।
Meaning : . When Jiva, having got rid of all illusion, attains everlasting consciousness, it then becomes one who has accomplished all that was to be accomplished, and is possessed of the success resulting from right exertion.
टोडरमल