
सेयासेयविदण्हू उद्धुददुस्सील सीलवंतो वि
सीलफलेणब्भुदयं तत्ते पुण लहइ णिव्वाणं ॥16॥
रत्नत्रय पद धारी मुनिवर तजते हैं नित पापाचार ।
अहो अलौकिक वृत्ति धारते पर-द्रव्यों से रहें उदास ॥१६॥
अन्वयार्थ : [एतत् पदम् अनुसरतां] इस पदवी का अनुसरण करनेवाले [करम्बिताचारनित्यनिरभिमुखा] पाप क्रिया मिश्रित आचारों से सवर्था परान्मुख तथा [एकान्तविरतिरूपा] सवर्था उदासीन [भवति मुनीनां अलौकिकी वृत्ति:] मुनियों की वृत्ति आलौकिक होती है ।
Meaning : The life-routine of such saints as follow this path, as are ever averse to questionable conduct, and have adopted complete renunciation, is uncommon indeed.
टोडरमल