+ क्रम-भंग उपदेशक की निंदा -
यो यतिधर्ममकथयन्नुपदिशति गृहस्थधर्ममल्पमतिः।
तस्य भगवत्प्रवचने प्रदर्शितं निग्रहस्थानम् ॥18॥
मुनिव्रत का उपदेश न दे अरु श्रावकव्रत का करे कथन ।
कोई अल्पमति तो जिन प्रवचन में उसको दण्ड विधान ॥१८॥
अन्वयार्थ : [यः अल्पमतिः] जो तुच्छ-बुद्धि [यतिधर्मम् अकथयन्] मुनिधर्म को नहीं कह करके [गृहस्थधर्मम् उपदिशति तस्य] श्रावकधर्म का उपदेश देता है, उसे [भगवत्प्रवचने] भगवंत के सिद्धांत में [निग्रहस्थानम्] दण्ड देने का स्थान [प्रदर्शितं] दिखलाया है ।
Meaning : The unwise (preceptor) who without discoursing upon the "order of saints" only lectures upon "order of the householder" is, according to the sayings of the worshipful, deserving of censure.

  टोडरमल