
एवं सम्यग्दर्शनबोध चारित्रत्रयात्मको नित्यं ।
तस्यापि मोक्षमार्गो भवति निषेव्यो यथाशक्तिः ॥20॥
सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चरण इन तीन भेदमय मुक्ति-मार्ग ।
सेवन करने योग्य सदा है यथाशक्ति श्रावक को जान ॥२०॥
अन्वयार्थ : [एवं सम्यग्दर्शनबोध चारित्रत्रयात्मकः] इस प्रकार सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यग्चारित्र इन तीन भेद स्वरूप [मोक्षमार्गः नित्यं] मोक्षमार्ग सदा [तस्य अपि यथाशक्ति] उस पात्र को भी अपनी शक्ति के अनुसार [निषेव्यः भवति] सेवन करने योग्य होता है ।
Meaning : Again, one must, by all possible means, first attain right belief; because only on the acquisition thereof knowledge and conduct become
टोडरमल