+ निःकांक्षित अंग -
इह जन्मनि विभवादीन्यमुत्र चक्रित्वकेशवत्वादीन् ।
एकान्तवाददूषित परसमयानपि च नाकांक्षेत् ॥24॥
इस भव परभव में वैभव या चक्री, नारायण पद की ।
दूषित जो एकान्तवाद से अन्य धर्म चाहो न कभी ॥२४॥
अन्वयार्थ : [इह जन्मनि विभवादीन्यमुत्र] इस जन्म में एश्वर्य, सम्पदा आदि और परलोक में [चक्रित्वकेशवत्वादीन्] चक्रवर्ती, नारायण आदि पदों को और [एकान्तवाददूषित परसमयानपि] एकान्तवाद से दूषित पर-धर्मों को भी [च नाकांक्षेत्] न चाहे ॥२४॥
Meaning : The true believer should not desire worldy greatness in this life or for the position of a Chakravarti or Narayana in the life hereafter; nor should he cling to other faiths, disfigured by the adoption of one-sided theories.

  टोडरमल