
विगलितदर्शनमोहैः समञ्जसज्ञानविदिततत्त्वार्थैः ।
नित्यमपि निःप्रकम्पैः सम्यक्चारित्रमालम्ब्यम् ॥37॥
दर्शनमोह विनाशक अरु तत्त्वार्थों का है सम्यग्ज्ञान ।
निष्प्रकम्प जो नित्य करें वे सम्यक्चारित्र आलम्बन॥37॥
अन्वयार्थ : [विगलितदर्शनमोहै:] दर्शनमोह के नाश द्वारा [समञ्जसज्ञानविदिततत्त्वार्थै:] सम्यग्ज्ञान से जिन्होंने तत्त्वार्थ को जाना है [नित्यमपि नि:प्रकम्पै:] सदा ही दृढ़चित्तवान द्वारा [सम्यक्चारित्रं आलम्ब्यम्] सम्यक्चारित्र अवलम्बन करने योग्य है ।
Meaning : Those who have got over wrong belief, have come to know the full significance of the Tattwas through accurate knowledge, and who are firm and unshakeable, must always follow Right Conduct.
टोडरमल