+ हिंसा का स्वरूप -
यत्खलुकषाययोगात्प्राणानां व्यभावरुपाणाम् ।
व्यपरोपणस्य करणं सुनिश्चिता भवति सा हिंसा ॥43॥
नित द्रव्यभावमयी सुप्राणों, के कषायी योग से ।
है घात का उत्कृष्ट कारण, सुनिश्चित हिंसा ही है ॥४३॥
अन्वयार्थ : [कषाययोगात् यत्] कषाय सहित योग से जो [द्रव्यभावरूपाणाम् प्राणानां] द्रव्य और भावरूप (दो प्रकार के) प्राणों का [व्यपरोपणस्य करणं] व्यपरोपण करना-घात करना [सा खलु सुनिश्चिता] वह निश्चय से भलीभाँति निश्चित की गई [हिंसा भवति] हिंसा है ।
Meaning : Any injury whatsoever to the material or conscious vitalities caused through passionate activity of mind, body or speech is Himsa, assuredly.

  टोडरमल