
मद्यं मोहयति मनो मोहितचित्तस्तु विस्मरति धर्मम् ।
विस्मृतधर्मा जीवो र्हिंसामविशङ्कमाचरति ॥62॥
नित मद्य से मन मुग्धता, मोहितमनी भूले धरम ।
हो धर्म विस्मृत जीव हिंसा, में निशंकित प्रवर्तित ॥६२॥
अन्वयार्थ : [मद्यं मनोमोहयति] मदिरा मन को मोहित करती है और [मोहितचित्त: तु धर्मम् विस्मरति] मोहित चित्त पुरुष तो धर्म को भूल जाता है तथा [विस्मृतधर्मा जीव: अविशंकम्] धर्म को भूला हुआ जीव नि:शंक-निडर होकर [हिंसां आचरति] हिंसा का आचरण करता है ।
Meaning : Wine stupifies the mind ; one whose mind is stupified forgets piety; and the person who forgets piety commits Himsa without hesitation.
टोडरमल