
यानि तु पुनर्भवेयुःकालोच्छिन्नत्रसाणि शुष्काणि ।
भजतस्तान्यपि हिंसा विशिष्ट रागादिरुपा स्यात् ॥73॥
जब काल पा हो शुष्क यद्यपि, त्रस रहित हो गए वे ।
पर तीव्र रागादिमयी हिंसा सदा उन ग्रहण से ॥७३॥
अन्वयार्थ : [तु पुन: यानि] और फिर यह [शुष्कानि कालोच्छिन्नत्रसाणि] सूखे हुए समय बीतने पर त्रस-रहित [भवेयु: तान्यपि] हो गए हों तब भी [भजत: विशिष्टरागादिरूपा] भक्षण करनेवाले को विशेष रागादिरूप [हिंसा स्यात्] हिंसा होती है ।
Meaning : Again, if they, the above five fruits be dry, and free from mobile beings, on account of eflux of time, even then in using them there is Himsa, caused by the existence of an excessive desire for them.
टोडरमल