+ दूसरों को देखकर व्यथित न हो -
अमृतत्वहेतुभूतं परममहिंसारसायनं लब्ध्वा ।
अवलोक्य बालिशानामसमञ्जसमाकृलैर्न भवितव्यम् ॥78॥
है अहिंसा उत्तम रसायन, मोक्ष हेतुभूत पा ।
होना नहीं आकुल असंगत, देख वर्तन अज्ञ का ॥७८॥
अन्वयार्थ : [अमृतत्त्वहेतुभूतं] अमृत अर्थात् मोक्ष का कारणभूत [परमं अहिंसारसायनं लब्ध्वा] उत्कृष्ट अहिंसारूपी रसायन प्राप्त करके [बालिशानां असमञ्जसम्] अज्ञानी जीवों का असंगत वर्तन [अवलोक्य आकुलै: न भवितव्यम्] देखकर व्याकुल नहीं होना चाहिए ।
Meaning : Those who have been impressed with the highest Ahimsa-elixir, which leads to immortality, should not be distressed on seeing the improper behaviour of the ignorant.

  टोडरमल