+ धर्म के निमित्त हिंसा में दोष -
सूक्ष्मो भगवद्धर्मो धर्मांर्थं हिंसने न दोषोऽस्ति ।
इति धर्ममुग्धहृदयैर्न जातु भूत्वा शरीरिणो हिंस्याः ॥79॥
भगवद् धरम अति सूक्ष्म, हिंसा धर्म हेतु उचित है ।
यों भ्रमित धर्मी हो कभी भी, जीव घात नहीं करे ॥७९॥
अन्वयार्थ : [भगवद्धर्म: सूक्ष्म:] भगवान का कहा हुआ धर्म बहुत बारीक है, इसलिए [धर्मार्थं हिंसने] धर्म के निमित्त से हिंसा करने में [दोष: नास्ति] दोष नहीं है [इति धर्ममुग्धहृदयै:] ऐसा धर्ममूढ़ अर्थात् भ्रमरूप हृदयवाला [भूत्वा जातु] होकर कभी भी [शरीरिण: न हिंस्या:] शरीरधारी जीवों को नहीं मारना चाहिए ।
Meaning : "Sacred religion is very subtle, and there is no wrong in committing Himsa for the sake of religion." (People) should not allow themselves to be thus deceived in the name of religion, and should never kill embodied beings.

  टोडरमल