
यदिदं प्रमादयोगादसदभिधानं विधीयते किमपि ।
तदनृतमपि विज्ञेयं तद्भेदाः सन्ति चत्वारः ॥91॥
यह जो प्रमादी योग से, कुछ भी असत् अभिधान है ।
जानो उसे नित अनृत, उसके चार भेद यहाँ कहें ॥९१॥
अन्वयार्थ : [यत् किमपि प्रमादयोगात्] जो कुछ प्रमाद के योग से [इदं असदभिधानं विधीयते] यह असतवचन कहने में आता है, [तत् अनृतं अपि] उसे निश्चय से असत्य [विज्ञेयम् तद्भेदा:] जानना चाहिए उसके भेद [चत्वार: सन्ति] चार हैं ।
Meaning : Wherever any wrong statement is made through Pramada Yoga , it is certainly known as falsehood. It is divided into 4 kinds.
टोडरमल