
असदपि हि वस्तुरूपं यत्र परक्षेत्रकालभावैस्तैः ।
उद्भाव्यतेद्वितीयं तदनृतमस्मिन् यथास्ति घटः ॥93॥
पर द्रव्य क्षेत्र रु काल भाव से, असत् वस्तुरूप का ।
प्रगटीकरण है असद्, उद्भावन द्वितीय ज्यों घट यहाँ ॥९३॥
अन्वयार्थ : [हि यत्र] निश्चय से जिसमें [तै परक्षेत्रकालभावै:] उन परद्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव से [असत् अपि] अविद्यमान होने पर भी [वस्तुरूपं उद्भाव्यते] वस्तु का स्वरूप प्रगट करने में आवे [तत् द्वितीयं अनृतम् स्यात्] वह दूसरा असत्य है [यथा अस्मिन् घट: अस्ति] जैसे 'यहाँ घड़ा है' ।
Meaning : Where a thing does not exist, with reference to the position, time, and nature of other objects, and it is said to exist, the statement is the second kind of falsehood e. g., to say " pitcher is here" .
टोडरमल