+ असत्य - तृतीय भेद -
वस्तु सदपि स्वरूपात् पररूपेणाभिधीयते यस्मिन् ।
अनृतमिदं च तृतीयं विज्ञेयं गौरिति यथाऽश्वः ॥94॥
स्वरूप से सत् वस्तु को, पररूप से जिसमें कहें ।
है अन्यथा प्ररूपण तृतिय, ज्यों बैल को घोड़ा कहें ॥९४॥
अन्वयार्थ : [च यस्मिन् स्वरूपात्] और जिसमें अपने चतुष्टय से [सत्अपि वस्तु पररूपेण] विद्यमान होने पर भी पदार्थ अन्य स्वरूप से [अभिधीयते इदं] कहने में आता है उसे यह [तृतीयं अनृतं विज्ञेयं] तीसरा असत्य जानो [यथा गौ: अश्व: इति] जैसे 'बैल घोड़ा है' ।
Meaning : The third kind of falsehood is that, where an existing thing is represented as something different from what it really is, for example, when a horse is said to be a cow.

  टोडरमल