+ असत्य - चतुर्थ भेद -
गर्हितमवद्यसंयुतमप्रियमपि भवति वचनरूपं यत् ।
सामान्येन त्रेधा मतिमदमनृतं तुरीयं तु ॥95॥
गर्हित रु पापसहित अप्रिय, वचन जो सामान्य से ।
त्रय रूप मानों यह चतुर्थ, अनृत है जिनने कहे ॥९५॥
अन्वयार्थ : [तु इदं तुरीयं अनृतं] और यह चौथा असत्य [सामान्येन गर्हितं] सामान्यरूप से गर्हित [अवद्यसंयुतम् अपि अप्रियं] पाप-सहित और अप्रिय इस तरह [त्रेधा मतम्] तीन प्रकार का माना गया है, [यत् वचनरूपं भवति] जो कि वचनरूप है ।
Meaning : Speech of 3 kinds, Garhita, cundemnable; Savadya, sipful, or Apriya, disagreeable, is ordinarily speaking, said to be the fuurth kind of falsehood.

  टोडरमल