+ निन्द्य वचन -
पैशून्यहासगर्भं कर्कशमसमञ्जसं प्रलपितं च ।
अन्यदपि यदुत्सूत्रं तत्सर्वं गर्हितं गदितम् ॥96॥
पैशून्य निन्दायुत हँसी, कर्कश प्रलाप सुसंशयी ।
उत्सूत्रवाणी अन्य भी यों कहें गर्हित ये सभी ॥९६॥
अन्वयार्थ : [पैशून्यहासगर्भं कर्कशं] दुष्टता अथवा निन्दारूप हास्यवाला, कठोर [असमञ्जसं च प्रलपितं] मिथ्या-श्रद्धानवाला और प्रलापरूप [बकवाद अन्यदपि] तथा और भी [यत् उत्सूत्रं] जो शास्त्र-विरुद्ध वचन है [तत्सर्वं गर्हितं गदितम्] वह सभी निन्द्य-वचन कहा गया है ।
Meaning : Garhita speech is said to be all that, which is backbiting, harsh, unbecoming, nonsensical, or otherwise un. canonical.

  टोडरमल