
छेदनभेदनमारणकर्षणवाणिज्यचौर्यवचनादि ।
तत्सावद्यं यस्मात्प्राणिवधाद्याः प्रवर्तन्ते ॥97॥
छेदन भेदन मारने के, खीचने व्यापार के ।
नित चौर्य आदि के वचन, हिंसादिकर सावद्य हैं ॥९७॥
अन्वयार्थ : [यत्] जो [छेदनभेदनमारणकर्षणवाणिज्यचौर्यवचनादि] छेदन, भेदन, मारण, शोषण, व्यापार या चोरी आदि के वचन हैं [तत् सावद्यं] वे सब पाप-युक्त वचन हैं [यस्मात् प्राणिवधाद्या: प्रवर्तन्ते] क्योंकि इनके द्वारा प्राणी हिंसा आदि पापरूप प्रवर्तन करते हैं ।
Meaning : All speech which makes another engage in piercing, cutting, beating. ploughing, trading, stealing, etc., is Savadya, sinful as it leads to destruction of life, etc.
टोडरमल