
भोगोपभोगसाधनमात्रं सावद्यमक्षमा मोक्तुम् ।
ये तेऽपि शेषमनृतं समस्तमपि नित्यमेव मुञ्चन्तु ॥101॥
भोगोपभोग-निमित्त सावद्य, वचन तज सकते नहीं ।
तो शेष अनृत वचन को तो, तजो नित सर्वत्र ही ॥१०१॥
अन्वयार्थ : [ये भोगोपभोगसाधनमात्रं] जो भोग-उपभोग के साधन-मात्र [सावद्यम् मोक्तुम् अक्षमा:] सावद्यवचन छोड़ने में [ते अपि] असमर्थ हैं वे भी [शेषम् समस्तमपि] बाकी के सभी [अनृतं नित्यमेव मुञ्चन्तु] असत्य भाषण का निरन्तर त्याग करें ।
Meaning : Those who are not able to give up such Savadya untruth, as is unavoidable in arranging for articles of use, should renounce all the other untruth, for ever.
टोडरमल