
अर्था नाम य एते प्राणा एते बहिश्चरा: पुंसाम् ।
हरति स तस्य प्राणान् यो यस्य जनो हरत्यर्थान् ॥103॥
जो धन पदार्थों को हरे, वह प्राण ही उसके हरे ।
हैं क्योंकि बाहिज प्राण, अर्थादि नरों के यों कहें ॥१०३॥
अन्वयार्थ : [य: जन: यस्य जीव] जो मनुष्य जिस के [अर्था हरति] पदार्थों को हरता है [स: तस्य प्राणान् हरति] वह उसके प्राणों को हर लेता है, क्योंकि जगत में [ये एते अर्थानाम] जो यह धनादि पदार्थ
प्रसिद्ध हैं [एते पुंसां] वे सभी मनुष्यों के [बहिश्चरा: प्राणा: सन्ति] बाह्य प्राण हैं ।
Meaning : He, who seizes the property of another person deprives him of his vitalities, for all objects are external vitalitites of men.
टोडरमल