+ परिग्रह पाप का स्वरूप -
या मूर्च्छा नामेयं विज्ञातव्य: परिग्रहो ह्येष: ।
मोहोदयादुदीर्णो मूर्च्छा तु ममत्वपरिणाम: ॥111॥
जो मूर्छा मय भाव यह ही, परिग्रह यों जानना ।
नित मोहोदय से व्यक्त, ममता भाव मूर्छा मानना ॥
अन्वयार्थ : [इयं या मूर्च्छा नाम] यह जो मूर्च्छा है [एष: हि] इसे ही निश्चय से [परिग्रह: विज्ञातव्य:] परिग्रह जानो [तु मोहोदयात् उदीर्ण:] और मोह के उदय से उत्पन्न हुआ [ममत्वपरिणाम: मूर्च्छा] ममत्वरूप परिणाम ही मूर्च्छा है ।
Meaning : Those, who, because of attachment, cannot renounce their own wives, they also should totally abstain from enjoying other females.

  टोडरमल