+ परिग्रह त्याग करने का उपाय -
तत्त्वार्थाश्रद्धाने निर्युक्तं प्रथममेव मिथ्यात्वम् ।
सम्यग्दर्शनचौरा: प्रथमकषायाश्च चत्वार: ॥124॥
तत्त्वार्थ की श्रद्धारहित, मिथ्यात्व पहला चार हैं ।
क्रोधादि अनन्तानुबन्धि, कषाय समकित चोर हैं ॥१२४॥
अन्वयार्थ : [प्रथमम् एव तत्त्वार्थाश्रद्धाने] पहले ही तत्त्वार्थ के अश्रद्धान में जिसने [निर्युक्तं मिथ्यात्वं] संयुक्त किया है ऐसा मिथ्यात्व [च चत्वार: प्रथमकषाया:] और चार पहली कषाय (अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया और लोभ) [सम्यग्दर्शनचौरा:] सम्यग्दर्शन की चोर हैं ।
Meaning : At first for acquiring belief in Tattwarthas, the principles, as they are, wrong belief, and the - four Passions of the first degree, which prevent Right Belief, should be got rid of.

  टोडरमल