नजशक्त्या शेषाणां सर्वेषामन्तरङ्गसङ्गानाम् ।
कर्त्तव्य: परिहारो मार्दवशौचादि भावनया ॥126॥
नित मार्दव शौचादि भावों, पूर्वक निजशक्ति से ।
अवशेष सब ही अन्तरंग, परिग्रहों को छोड़ दे ॥१२६॥
अन्वयार्थ : इसलिए [निजशक्त्या] अपनी शक्ति से [मार्दवशौचादिभावनया] मार्दव, शौच, संयमादि दशलक्षण धर्म द्वारा [शेषाणां] अवशेष [सर्वेषाम्] सभी [अन्तरङ्गसङ्गानाम्] अन्तरंग परिग्रहों का [परिहार:] त्याग [कर्त्तव्य:] करना चाहिए ।
Meaning : All remaining internal attachments should be suppressed, with self-exertion through humility, contentment and such meditations.

  टोडरमल