+ शंकाकार की शंका -
यद्येवं तर्हि दिवा कर्त्तव्यो भोजनस्य परिहार: ।
भोक्तव्यं तु निशायां नेत्थं नित्यं भवति हिंसा ॥131॥
है यदि ऐसा छोड़ दिन, भोजन करेंगे रात में ।
भोजन सदा हिंसा नहीं, होगी इसी से तर्क ये ॥१३१॥
अन्वयार्थ : [यदि एवं] यदि ऐसा है अर्थात् सदाकाल भोजन करने में हिंसा है [तर्हि] तो [दिवा भोजनस्य] दिन में भोजन करने का [परिहार:] त्याग [कर्त्तव्य:] कर देना चाहिये [तु] और [निशायां] रात में [भोक्तव्यं] भोजन करना चाहिये क्योंकि [इत्थं] इस तरह से [हिंसा] हिंसा [नित्यं] सदाकाल [न भवति] नहीं होगी ।
Meaning : If that be, so, then one may give up taking food in the day, by eating at night only, one would not be committing Himsa at all times.

  टोडरमल