
नैवं वासरभुक्तेर्भवति हि रागोऽधिको रजनिभुक्तौ ।
अन्नकवलस्य भुक्तेर्भुक्ताविव मांसकवलस्य ॥132॥
ऐसा नहीं, ज्यों अन्नभोजन, से कहा है माँस में ।
अति तीव्र राग कहा दिवस से, अधिक है निशिभोज में ॥१३२॥
अन्वयार्थ : [एवं न] ऐसा नहीं है कारण कि [अन्नकवलस्य] अन्न के ग्रास के [भुक्ते:] भोजन से [मांसकवलस्य] माँस के ग्रास के [भुक्तौ इव] भोजन में जिस प्रकार राग अधिक होता है उसी प्रकार [वासरभुक्ते:] दिन के भोजन की अपेक्षा [रजनिभुक्तौ] रात्रिभोजन में [हि] निश्चय से [रागाधिक:] अधिक राग [भवति] होता है ।
Meaning : No, it is not so. There is stronger desire in eating at night than in eating in the day.as in the eating of a morsel of flesh and the eating of a morsel of grain.
टोडरमल