
अर्कालोकेन विना भुञ्जान: परिहरेत् कथं हिंसाम् ।
अपि बोधित: प्रदीपे भोज्यजुषां सूक्ष्मजीवानाम् ॥133॥
आलोक रवि बिन प्रज्ज्वलित, दीपक में मिलते भोज्य में ।
सम्मूर्छनों की महा हिंसा, से कहो कैसे बचें? ॥१३३॥
अन्वयार्थ : तथा [अर्कालोकेन विना] सूर्य के प्रकाश बिना रात में [भुञ्जान:] भोजन करनेवाला मनुष्य [बोधित: प्रदीपे] जलते हुए दीपक में [अपि] भी [भोज्यजुषां] भोजन में मिले हुए [सूक्ष्मजीवानाम्] सूक्ष्म जीवों की [हिंसा] हिंसा [कथं] किस तरह [परिहरेत्] टाल सकता है?
Meaning : How can one avoid Himsa when food is taken without the light of the sun; even when a lamp is lighted, minute insects get mixed up with eatables.
टोडरमल