क वा बहुप्रलपितैरिति सिद्धं यो मनोवचनकायै: ।
परिहरति रात्रिभुक्तिं सततमहिंसां स पालयति ॥134॥
अब अति कथन से लाभ क्या? यों मान मन वच काय से ।
निशिभोज छोड़े सर्वथा, नित अहिंसक वह सिद्ध ये ॥१३४॥
अन्वयार्थ : अथवा [बहुप्रलपितै:] बहुत प्रलाप से [किं] क्या? [य:] जो पुरुष [मनोवचनकायै:] मन, वचन, काय से [रात्रिभुक्तिं] रात्रिभोजन का [परिहरति] त्याग करता है [स:] वह [सततम्] निरन्तर [अहिंसां] अहिंसा का [पालयति] पालन करता है [इति सिद्धम्] ऐसा सिद्ध हुआ ।
Meaning : Why discuss further. It is established that he who has renounced night-eating, through mind, body or speech, always observes Ahimsa.

  टोडरमल