परिधय इव नगराणि व्रतानि किल पालयन्ति शीलानि ।
व्रतपालनाय तस्माच्छीलान्यपि पालनीयानि ॥136॥
ज्यों नगर रक्षक परिधि त्यों, हैं शील रक्षक व्रतों के ।
अतएव व्रत को पालने, नित शील पालन चाहिए ॥१३६॥
अन्वयार्थ : [किल] निश्चय से [परिधय: इव] जैसे कोट, किला [नगराणि] नगरों की रक्षा करता है, उसी तरह [शीलानि] तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत-यह सात शील [व्रतानि] पाँचों अणुव्रतों का [पालयन्ति] पालन अर्थात् रक्षण करते हैं, [तस्मात्] इसलिए [व्रतपालनाय] व्रतों का पालन करने के लिए [शीलानि] सात शीलव्रत [अपि] भी [पालनीयानि] पालन करना चाहिए ।
Meaning : Just as the encircling walls guard towns, so do Sheelas (supplementary vows) protect the Anu-Vratas, fore in order to practise the Vratas, the Sheelas also should be practised.

  टोडरमल