+ देशव्रत -
तत्रापि च परिमाणं ग्रामापणभवनपाटकादीनाम् ।
प्रविधाय नियतकालं करणीयं विरमणं देशात् ॥139॥
नित ग्राम गलि बाजार भवनादि, से निश्चित काल की ।
उसमें बना सीमा, नहीं बाहर भ्रमे देशव्रत यही ॥१३९॥
अन्वयार्थ : [च] और [तत्र अपि] उस दिग्व्रत में भी [ग्रामापणभवनपाटकादीनाम्] ग्राम, बाजार, मकान, मोहल्ला इत्यादि का [परिमाणं] परिमाण [प्रविधाय] करके [देशात्] मर्यादा किये हुए क्षेत्र से बाहर [नियतकालं] अपने निश्चित किये हुए समय तक जाने का [विरमणं] त्याग [करणीयं] करना चाहिए ।
Meaning : Then, again, one should fix a limit (within those limits) for a fixed time, to village, market, house, street etc.. and thus follow Desha Vrata.

  टोडरमल