
इति विरतो बहुदेशात् तदुत्थहिंसाविशेषपरिहारात् ।
तत्कालं विमलमति: श्रयत्यहिंसां विशेषेण ॥140॥
बहु क्षेत्र त्यागी विमलधी, यों अधिक हिंसा त्याग से ।
उस समय अधिकाधिक, अहिंसा आश्रय रहता उसे ॥१४०॥
अन्वयार्थ : [इति] इस प्रकार [बहुदेशात् विरत:] बहुत क्षेत्र का त्याग करनेवाला [विमलमति:] निर्मल बुद्धिवाला श्रावक [तत्कालं] उस नियमित काल में [तदुत्थहिंसा-विशेषपरिहारात्] मर्यादाकृत क्षेत्र से उत्पन्न होनेवाली हिंसा विशेष के त्याग से [विशेषेण] विशेषरूप से [अहिंसां] अहिंसाव्रत का [श्रयति] आश्रय करता है ।
Meaning : The pure-minded, who thus confines the extent of his activities practises absolute Ahimsa for that time by renouncing all Himsa possible in the vast space which has been given up.
टोडरमल