+ अपध्यान -
पापर्द्धिजयपराजयसङ्गरपरदारगमनचौर्याद्या: ।
न कदाचनापि चिन्त्या: पापफलं केवलं यस्मात् ॥141॥
परघात चोरी जय पराजय, कलह परस्त्री गमन ।
आदि नहीं सोचो कभी, अपध्यान केवल पापफल ॥१४१॥
अन्वयार्थ : [पापर्द्धि-जय-पराजय-सङ्गर-परदारगमन-चौर्याद्या:] शिकार, जय, पराजय, युद्ध, परस्त्रीगमन, चोरी आदि का [कदाचनापि] किसी भी समय [न चिन्त्या:] चिन्तवन नहीं करना चाहिए [यस्मात्] कारण कि इन अपध्यानों का [केवलं] मात्र [पापफलं] पाप ही फल है ।
Meaning : One should never think of hunting, victory, defeat, battle, adultery, theft, etc., because they only lead to sin.

  टोडरमल