
रागादिवर्द्धनानां दुष्टकथानामबोधबहुलानाम् ।
न कदाचन कुर्वीत श्रवणार्जनशिक्षणादीनि ॥145॥
अज्ञानमय रागादिवर्धक, दुष्टतामय कथा को ।
नहिं सुनो नहिं अर्जित करो, नहिं शिक्षणादि भी करो॥१४५॥
अन्वयार्थ : [रागादिवर्द्धनानां] राग, द्वेष, मोहादि को बढ़ानेवाली तथा [अबोध-बहुलानाम्] बहुत अंशों में अज्ञान से भरी हुई [दुष्टकथानाम्] दुष्ट कथाओं का [श्रवणार्जनशिक्षणादीनि] सुनना, धारण करना, सीखना आदि [कदाचन] किसी समय, कभी भी [न कुर्वीत] नहीं करना चाहिए ।
Meaning : One may not listen to, accept, or teach such bad stories as increase attachment etc., and are full of absurdities.
टोडरमल