+ जुआ का त्याग -
सर्वानर्थप्रथमं मथनं शाैचस्य सद्म मायाया: ।
दूरात्परिहरणीयं चौर्यासत्यास्पदं द्यूतम् ॥146॥
नित सब अनर्थों में प्रथम, है शौच नाशक कपट घर ।
चोरी असत्य निवास द्यूत, जुआ करो परिहार सब ॥१४६॥
अन्वयार्थ : [सर्वानर्थप्रथमं] सप्त व्यसनों में पहला अथवा सर्व अनर्थों में मुख्य [शौचस्य मथनं] सन्तोष का नाश करनेवाला [मायाया:] मायाचार का [सद्म] घर और [चौर्यासत्यास्पदम्] चोरी तथा असत्य का स्थान [द्यूतम्] ऐसे जुआ को [दूरात्] दूर ही से [परिहरणीयम्] त्याग करना चाहिए ।
Meaning : Renounce gambling from a distance. It is the first of all evils, the destroyer of contentment, the home of deceit, and the abode of theft and falsehood.

  टोडरमल